
पाली मेडिकल कॉलेजः यूटीबी लैब टेक्निशियन सेवा समाप्ति पर रोकः हाईकोर्ट ने 8 साल से कॉलेज में कार्यरत 11 कार्मिकों को दी अंतरिम राहत
PALI SIROHI ONLINE
जोधपुर-राजस्थान हाईकोर्ट ने पाली की सरकारी मेडिकल कॉलेज में 8 साल से यूटीबी (अरजेंट टेंपरेरी बेसिस) पर लगे 11 लैब तकनीशियनों की सेवा समाप्ति पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश में यह भी कहा कि कर्मचारी चयन बोर्ड 28 जनवरी 2025 की विज्ञप्ति के तहत विभिन्न संविदा पदों पर चयन प्रक्रिया को जारी रख सकती है।
अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पाली के राजकीय मेडिकल कॉलेज में गत आठ वर्षों से लैब तकनीशियन पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता नागौर के जतनपुरा निवासी देवाराम, नूवा के छोटूराम, पाली की सूरजपोल निवासी संध्या वर्मा, सोजत सिटी बागावास निवासी मूलचं, हनुमानगढ़ गांधी बड़ी निवासी सुनील कुमार, श्रीगंगानगर 83 एलएनपी निवासी मनीष कुमार, बाड़मेर नेडी नाडी निवासी दिनेश कुमार, पाली न्यू हाउसिंग बोर्ड निवासी मधुरेश बोहरा, सोजत सिटी बड़ी मीनारों की मस्जिद के पास निवासी अफजल हुसैन, पाली घोरावर में नाथों का बास निवासी दीनानाथ और हनुमानगढ़ टिब्बी शेरेकां निवासी सुभाष की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें खिलेरी ने बताया कि राजस्थान में चल रही 6 राजकीय आयुर्विज्ञान कॉलेजों (जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, कोटा एवं जयपुर) के अलावा सात नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिहाज से राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसाइटी (राजमेस) की स्थापना की थी। राजमेस को राजस्थान संस्था रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1958 के अंतर्गत 10 अक्टूबर 2016 को पंजीकृत करवाया गया। तत्पश्चात इन 7 नए मेडिकल कॉलेज (पाली, चुरू, बाड़मेर, भीलवाड़ा, भरतपुर, डूंगरपुर व सीकर) में चिकित्सा शिक्षक, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए नियम 2017 बनाए गए।
28 पद लैब तकनीशियन के स्वीकृत
इसी के प्रावधानों के आधार पर सरकार ने लैब तकनीशियन के कुल 196 पद (28 पद प्रति कॉलेज) स्वीकृत किए। इन नियम में लैब तकनीशियन के लिए जरूरी योग्यता संबंधित विषय में DMLT रखी गई, जो सभी याचीगण के पास थी। तत्पश्चात पाली मेडिकल कालेज ने 6 दिसंबर 2017 को विज्ञप्ति जारी कर लैब तकनीशियन के नियमित व स्वीकृत 19 पदों सहित अन्य पदों के लिए आवेदन मांगे थे। नियमानुसार साक्षात्कार एवं दस्तावेज सत्यापन प्रकिया पश्चात चयन सूची राजमेस, चिकित्सा शिक्षा भवन, जयपुर को भेजी गई। वहां से अनुमोदन के बाद मेडिकल कॉलेज पाली द्वारा याचीगण व अन्य को 5 जनवरी 2018 से नियमित नियुक्ति दी गयी। तब से याचिकाकर्ता पाली मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं।
मंथली फिक्स्ड सैलरी पर अस्थायी नौकरी
याचिकाकर्ता गत 8 वर्षों से फिक्स्ड सैलरी पर अस्थायी कार्यरत हैं और लगातार नियमितीकरण की मांग करते रहे हैं। अब राज्य सरकार ने कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर के जरिये राज्य के चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न कैडर के कुल 8,256 पदों तथा राजमेस के अधीन करीब 19 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न कैडर के स्वीकृत व नियमित 5142 पदों को सविंदा / ठेके पर नियुक्त करने के लिए संक्षिप्त विज्ञप्ति 11 दिसंबर 2024 और विस्तृत विज्ञप्ति 28 जनवरी 2025 जारी की। उनमें याचीगण के वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत 19 पद भी सम्मिलित हैं। इस सविंदा चयन प्रक्रिया के बाद याचीगण को हटा दिया जाएगा। इसी वजह से यह रिट याचिका दायर की गई।
नियमानुसार स्वीकृत पदों को संविदा आधार पर नहीं भरा जा सकता
अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि नियमानुसार स्वीकृत पदों को सविंदा आधार पर भरा नही जा सकता है और विशेष परिस्थितियों में इन पदों पर नियम 27 के अनुसार यूटीबी (अर्जेंट टेम्परेरी आधार) पर नियुक्ति की जा सकती है। याचीगण की नियुक्ति नियमित आधार पर स्वीकृत पदों पर की गई थी, लेकिन नियुक्ति आदेश में यूटीबी (अर्जेंट टेम्पररी बेसिस) पर नियुक्ति नाम दे दिया गया। जबकि प्रारंभिक नियुक्ति के समय 2017 के सभी नियमों का पूर्ण पालन किया गया था।
वर्तमान में सविंदा नियम 2022 के नियम 20 में भी स्क्रीनिंग कर नियमितीकरण की कार्यवाही जारी है। याचीगण शुरु से पाली में वित्त और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृत नियमित लैब तकनीशियन पदों पर नियुक्त होने से राजमेस सोसाइटी के अधीनस्थ सेवा के सदस्य हैं। उन्हें सविंदा पर नियुक्त होने वाले कार्मिकों से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता हैं। 8 साल की लंबी नियमित सेवाओं के बाद इनका नियमितीकरण करने के बजाय नौकरी से ही बाहर करने के प्रयास विधिविरुद्ध और असंवैधानिक है।
रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए हाइकोर्ट ने याचीगण की नियुक्ति को समाप्त करने पर रोक लगाते हुए सविंदा आधार पर विज्ञप्ति 11 दिसंबर 2024 व 28 जनवरी 2025 के अनुसार चयन प्रक्रिया जारी रख सकने के अंतरिम आदेश दिए। साथ ही राज्य सरकार सहित चिकित्सा विभाग सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग सचिव, वित्त विभाग सचिव व अन्य को जवाब तलब करते हुए मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।


