
शहादत दिवस की पूर्व संध्या श्रद्धांजली अर्पित कर दो मिनट का रखा मौन धारण किया
PALI SIROHI ONLINE
गणेश परमार
शहादत दिवस की पूर्व संध्या श्रद्धांजली अर्पित कर दो मिनट का रखा मौन धारण किया
गोयली| शहीद-ए-आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी मार्मिक विनम्र सच्ची श्रद्धांजली अर्पित कर दो मिनट का रखा मौन धारण
बलिदास दिवस पर मेघवाल ने कहा कि शहीद भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव हमें त्याग, वीरता व बहादूरी की देते प्रेरणा: मेघवाल
अखिल भारतीय ’’भारत-रत्न’’ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीय सेवा समिति मुख्यालय सिरोही एवं भारत सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शहीदें आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव का 94 वां बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन आज दिनांक 22 मार्च 2025 को विश्वकर्मा कौशल प्राईवेट इण्डस्ट्रीयल ट्रेनिंग इन्सटीट्यूट एवं विश्वकर्मा कौशल केन्द्र पब्लिक सीनियर सैकण्डरी स्कूल बरलूट मंे बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर शहादत दिवस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेताजी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अधयक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी श्री लुम्बाराम मेघवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में ITI कॉलेज के प्राचार्य भरत परमार एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रधानाचार्य विवेक रावल मंच पर मौजूद थे। सभी अतिथियों ने शहीदें आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित कर माल्यार्पण किया गया साथ ही दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी विनम्र मार्मिक सच्ची श्रद्धांजली अर्पित की
इस अवसर पर नेताजी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अधयक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी श्री लुम्बाराम मेघवाल ने प्रबुद्ध नागरिको व युवाओं के बीच अपने विचारो को साझा करते हुए शहीदे आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव पर परिलक्षित वार्ता के जरिये युवा पीढी में राष्ट्रभक्ति का जज्बा पैदा किया। मेघवाल ने कहा कि शहीदें आजम भगतसिंह को 23 मार्च 1931 को सांय 07 बजे फांसी के अरमान पर झुलाया गया था। तब यायिक मजिस्ट्रेट ने शहीद भगतसिंह से मरने से पहले अन्तिम इच्छा जानने की बात कहीं थी जिस पर भगतसिंह ने हंसते हुए कहां कि मैं भारत को आजाद देखना चाहता हॅू। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया व अन्तिम अवसर प्रदान किया। अन्त में भगतसिंह ने कहां कि मैं मरने से पहले एक बार मैं मेेरी माँ के दर्शन करना चाहता हॅू लाहौर की सेन्ट्रल जेल में भगतसिंह की माँ को लाया गया तब भगतसिंह की माँ फांसी का अरमान देखकर रो पड़ी, भगतसिंह ने अपनी माता से कहां कि हे माते! तु एक शेर की माँ है और शेर की माँ कभी रोया नहीं करती है तू मुझे हंसते हंसते देश की भलाई में विदा कर, माँ ने शहीद भगतसिंह को दुलार किया भगतसिंह ने माँ के चरण स्पर्श कर माँ ने सादुवाद प्रदान किया और कहां कि जा बेटे जा तु राष्ट्र के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दे एक भगतसिंह मरेगा तो मेरे भारत में करोड़ो भगतसिंह पैदा हो जायेंगें। वाह! क्या वो माँ थी जो हंसते हुए भगतसिंह को विदा किया। उपस्थित समुदाय में श्री मेघवाल ने भगतसिंह की वीरता, बहादूरी व उनके त्याग को स्मरण करते हुए कहां कि ‘‘शहीदों की चिताओं पर लगेेंगें हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यहीं नामों निशां होगा’’। उद्वेलित विचारो को सुनकर उपस्थित समुदाय की आँखे नम हो गई और देखते ही देखते सभी युवाओं की आँखो में आसू भर आये। ऐसे वीर सपूत जिन्होंने अपनी शहादत से स्वतंत्रता का आगाज किया। भगतसिंह के मांस व हड्डियों से स्वतंत्र भारत का यह स्वतंत्रता का भवन खड़ा है। उनके परिचय को शाब्दिक रूप देकर उनकी वीरता को नमन करने का प्रयास कर रहे है। इस प्रकार शहीदें आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव ने देशहित में आगे आकर अपने स्वार्थो से ऊपर उठकर अपने प्राणों की आहुति देकर इस महान राष्ट्र को आजादी के कगार पर ला खड़ा किया हैं जिसका आजाद भारत सुख भोग रहा है। वतन पर मरने वाले शहीदें आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव एवं राष्ट्रभक्त श्री नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हमें त्याग व बलिदानों की याद दिलाते है। जिससे स्वतंत्रता के मूल्यों का हमें आभास होता है साथ ही इस प्रकार के कार्यक्रम युवाओं में जोश व नैतिक मूल्य स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते है।
इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ITI कॉलेज के प्राचार्य भरत परमार एवं विशिष्ठ अतिथि विद्यालय के प्रधानाध्यापक विवेक रावल ने भी शहीदंे आजम भगतसिंह, राजगुरू व सुखदेव पर अपने विचार व्यक्त कर युवाओं को राष्ट्रभक्ति की ओर प्रेरित किया।
इस मौके पर नेताजी फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल, प्ज्प् कॉलेज बरलूट के प्राचार्य भरत परमार, निदेशक डॉ. सुनिता जैन, प्रधानाध्यापक विवेक रावल, दिलीप कुमार, अर्जुन कुमार, कृष्ण कुमार, दारमाराम, मनीषा रानी, रेखा सुथार, मदनपालसिंह, दिनेश रांगी, अनिल कुमार सैनी, नरेश कुमार दवे एवं समस्त व्याख्याता एवं ITI कॉलेज एवं स्कूल छात्र-छात्रा मौजूद थे।