गृहणियो ने राजस्थानी परिधानों में सज धज कर शीतला माता को लगाया ठंडा बासोड़ा का भोग, की पूजा

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गृहणियो ने राजस्थानी परिधानों में सज धज कर शीतला माता को लगाया ठंडा बासोड़ा का भोग लगाकर की पूजा अर्चना

राजस्व विभाग ने ईश्वर गणगौर श्रंगार के साथ हुई पूजा अर्चना कर मांगी खुशहाली की मन्नतें

तखतगढ 21 माचॅ ;(खीमाराम मेवाडा) शुक्रवार को शीतला सप्तमी पर्व पर सुमेरपुर उपखंड के तखतगढ़ नगर एव साण्डेराव नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गृहणियो ने अल सुबह से ही राजस्थानी परिधानों में सज धज कर शीतला मंदिर पहुंच का शीतला माता को ठंडा बासोड़ा का भोग लगाकर पूजा अर्चना कर कुशल मंगल की मन्नत मांगी है। तखतगढ़ नगर में शुक्रवार अल सुबह से ही गृहणियो ने राजस्थानी परिधानों में सज धज कर अपने अपने घर से थाली में ठंडे बासोडे का भोग रखकर शीतला माता मंदिर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जहां ग्रहणियों ने शीतला माता को नारियल की वाटकी अर्पित कर दही चावल और मातर सहित भिन्न-भिन्न प्रकार के ठंडे बासोडे का भोग लगाकर विशेष पूजा अर्चना कर खुशहाली की मन्नत मांगी है। तो कई ग्रहणियों ने अपने-अपने घर पर ही पणियारे पर शीतला माता की प्रतिमाएं रख ठंडे बासोडे का भोग लगाकर पूजा अर्चना कर खुशहाली मन्नत मांग धूमधाम से शीतला सप्तमी पर्व को मनाने की रस्म निभाई है। जहां दिन पर शीतला माता मंदिर में दर्शकों एवं भक्तों की करतार लग चुकी थी।

–ग्रहणियों ने कथा का किया श्रवण, शुक्रवार को ग्रहणियों ने शीतला माता की पूजा अर्चना के बाद नगर की हर गली मोहल्ले में अलग-अलग टोलिया बनाकर एकत्रित होकर शीतला माता के कथा का श्रवण किया। जो एक पौराणिक कथा है। एक वृद्ध महिला और उसकी दो बहुओं की कहानी है, जो शीतला माता का व्रत रखती हैं।बहुएं शीतला माता के लिए बासी भोजन बनाती हैं, क्योंकि वे अपने छोटे बच्चों को ताजा भोजन नहीं देना चाहतीं। इसलिए शीतला माता उनकी श्रद्धा और चिंता से प्रसन्न होती हैं और उनके बच्चों को बीमारियों से बचाती हैं। और माता की कृपा बनी रहती है। जिस से आज भी शीतला माता को स्वच्छता और बीमारियों से सुरक्षा की देवी माना जाता है। और कथा का उद्देश्य लोगों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।

— ईश्वर गणगौर की हुई पूजा, वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार राजस्व विभाग के अलका पटवारी सुरेश चौधरी प्रतिहारी नाथूराम मेघवाल द्वारा पटवार भवन के पास स्थापित कर गणगौर मंदिर की फूल मालाओं से सजावट कर ईश्वर गणगौर को सोने चांदी के आभूषण सहित पूरी तरह श्रृंगार कर नारियल की ज्योत के साथ प्रसाद चढ़कर महा आरती से विधिवत पूजा अर्चना की गई। दरमियांन जेठमल परिहा,र राम सिंह, वीराराम चौधरी, रमेश सोलंकी सहित गणमान्य नागरिक मौजूद रहे और ईश्वर गणगौर के दर्शनों का सिलसिला जारी रहा। भगवान शिव और माता पार्वती, जिन्हें गण और गौर के नाम से जाना जाता है। गणगौर का त्योहार, इन दोनों की पूजा का दिन है। इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार, शिव-पार्वती के मिलन का जश्न मनाता है. इसे वैवाहिक और दाम्पत्य सुख का प्रतीक माना जाता है।

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