
उदयपुर सिटी पैलेस में पाली के देसुरी घेनडी पिलोवनी वनदार रुगड़ी शिवतलाव के राजपुरोहित भाई 300 साल बाद आए, बहन-बेटियों के सम्मान में टूटी थी परंपरा, 5 गांवों ने नहीं जाने का दिया था वचन
PALI SIROHI ONLINE
उदयपुर-उदयपुर सिटी पैलेस में 300 साल पहले टूटी परंपरा फिर से देखने को मिली। बुधवार को मारवाड़ के पांच गांवों के राजपुरोहितों ने उदयपुर के सिटी पैलेस में कदम रखा। ये पांच गांव पाली के देसूरी के पास स्थित घेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव हैं, जो मेवाड़ की आखिरी सीमा के पास बसे हुए हैं।
पांचों गांव से राजपुरोहित परिवार के करीब सवा सौ बुजुर्ग सदस्य उदयपुर आए। सिटी पैलेस में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उनका स्वागत किया। पैलेस से बरसों बाद उनको आमंत्रण मिला था। गांव में खुशी थी कि रुकी परंपरा अब वापस कायम हो जाएगी। अपने पूर्वजों की परंपरा को पुनर्जीवित होते देख गांव से आए सदस्य खुश थे।
महाराणा ने जागीर में दिए थे 5 गांव
वणदार गांव के 55 साल के दारा सिंह राजपुरोहित ने बताया-महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी वीरता और बलिदान के सम्मान में महाराणा ने उनके वंशजों को घेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गांव जागीर में दिए थे। वे कहते हैं कि हम राजपरिवार के सेनापति थे। हमने सेवाएं दी थीं। इसके बाद सदियों से उदयपुर सिटी पैलेस से गहरे संबंध रहे हैं।
गांव की बहन-बेटियां भेजती थीं राखी
पूर्व में इन गांवों की बहन-बेटियां हर साल सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं। इसके बदले में राजमहल से उनके लिए चूंदड़ी (परंपरागत चुनरी) भेजी जाती थी। यह परंपरा लंबे समय तक चली। अचानक महल की ओर से चूंदड़ी भेजना बंद हो गया था।
इसके बावजूद गांवों की बहन-बेटियों ने अगले तीन दशक तक राखी भेजना जारी रखा था। यह उम्मीद थी कि दरबार की ओर से चुनरी भेजी जाएगी।
राजपुरोहितों ने सिटी पैलेस नहीं जाने का वचन दिया
चैन सिंह राजपुरोहित ने बताया- जब पैलेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया, तब गांव की बहन-बेटियों ने एक दिन बुजुर्गों को इकट्ठा करके एक वचन मांगा था। उन्होंने कहा था-जब तक महल से बुलावा नहीं आए, इन गांवों से कोई भी राजपुरोहित महलों में नहीं जाएगा।
बुजुर्गों ने भी अपनी बहन-बेटियों के सम्मान में ये वचन दे दिया कि बुलावा नहीं आने तक गांव का कोई राजपुरोहित सिटी पैलेस नहीं जाएगा। बुलावा नहीं आने पर ये परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो गई। तीन शताब्दियों तक इस रिश्ते में दूरी बनी रही।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के आमंत्रण से परंपरा फिर शुरू
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन होने के बाद सिटी पैलेस में परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है। इस बीच लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया।
उन्होंने टेलीफोन के जरिए इन गांवों के लोगों को सिटी पैलेस आने का आमंत्रण भेजा। उन्होंने बीते 300 सालों से ठहरी परंपरा को पुनः जीवंत करने की पहल की है। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पांचों गांवों से आए राजपुरोहितों का सम्मान किया।
परंपरा की नई शुरुआत
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस मौके पर इन गांवों के प्रतिनिधियों को अरविंद सिंह मेवाड़ की एक बड़ी तस्वीर भेंट की। मेवाड़ ने कहा कि इतने सालों बाद आप यहां पधारे यह खुशी की बात है और आगे भी यहां के दरवाजे आपके लिए खुले हैं, ये आपका घर है। गांव वालों ने भी लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को उनके गांव आने का न्योता दिया।




