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उदयपुर-उदयपुर के खेरवाड़ा स्थित बलीचा में शनिवार को होलिका दहन हुआ। यहां बड़ी संख्या में लोग हाथों में तलवार और बंदूक लिए गैर खेलते नजर आए। इस नजारे को देखने सुबह से ही आसपास क्षेत्र के अलावा डूंगरपुर, बांसवाड़ा और पड़ोसी राज्य गुजरात व एमपी से भी ग्रामीण पहुंचे। इस दौरान आसपास गांवों से ग्रामीणों की टोलियां फाल्गुन गीत गाते आ रही थीं। वहीं, बड़ी संख्या में युवा हाथों में नंगी तलवार और बंदूक लिए चल रहे थे।
हजारों लोग एक जगह जुटे
वनवासी युवाओं ने उदयपुर के खेरवाड़ा के गांव बलीचा में शनिवार को होलिका दहन किया। यहां होलिका दहन पूर्णिमा के अगले दिन यानी धुलंडी पर होता है। यहां केवल उदयपुर ही नहीं बल्कि गुजरात के सीमावर्ती इलाकों से भी युवा, महिलाऐं, युवतियां और बुजुर्ग पहुंचे थे। लोकदेवी के मंदिर के करीब ये आयोजन हुआ। इसमें युवाओं के हाथों में तलवार थी और बंदूकें थी।
यह है परंपरा
यहां होली के डांडे को तलवार से काटने की परम्परा है। युवाओं की टोली आगे आकर होली के डांडे को तलवार से काटती है। वहीं जो युवा इस प्रयास में विफल हो जाते हैं। उन्हें मंदिर में सलाखों के पीछे कुछ समय के लिए बंद किया जाता है। भविष्य में गलती नहीं करने की जमानत पर उन्हें रिहाई मिलती है। इसके साथ-साथ गेर नृत्य भी चलता रहता है।
ग्रामीण लोग ढोल की धुन पर गैर नृत्य करते हुए होलिका दहन वाले स्थान पर पहुंचे। होलिका दहन के साथ ही यहां अदभुत नजारा देखने को मिलता है। यहां दहकती होली के बीच खड़े डंडे को तलवार से काटने की परंपरा है। जिसके तहत युवाओं में उस डंडे को काटने का होड़ लगी थी। इस दौरान कंडों के जलने के बाद उन पर दौड़े। फिर बड़ी संख्या में युवा हाथों में तलवार लिए नाचते-गाते चल रहे थे।
पुलिस का जाब्ता भी रहा मौजूद
इस नजारे को देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जमा थी। लोग पहाड़ियों पर चढ़कर इस नजारे को अपने मोबाइल में कैद करते दिखे। इस आयोजन के दौरान खाने-पीने सहित सजावटी सामान आदि की स्टॉल्स लगाई गई। जिसमें ग्रामीणों ने जमकर लुत्फ उठाया। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खेरवाड़ा, पाटिया, पहाड़ा, बावलवाड़ा थानों के थानाधिकारी जाब्ते के साथ मौजूद रहे। वहीं अतिरिक्त पुलिस जवान भी लगाए गए।


